PC: TV9 Bharatvarsh
हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण को बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। भगवान विष्णु ने इसमें उन चरणों का वर्णन किया है जिनसे व्यक्ति की मृत्यु के बाद आत्मा को गुजरना पड़ता है। व्यक्ति को अपने कर्मों का फल जीवित रहते हुए और मृत्यु के बाद भी भोगना पड़ता है। दाह संस्कार के बाद आत्मा की यात्रा का हिंदू धर्म, पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णन किया गया है। यह यात्रा व्यक्ति के कर्म, जीवन में किए गए अच्छे और बुरे कर्म और मृत्यु के समय उसकी मानसिक स्थिति पर निर्भर करती है। मृत व्यक्ति के दाह संस्कार के बाद अच्छी और बुरी दोनों आत्माओं की अपनी-अपनी यात्रा होती है। आत्मा को कितने चरणों से गुजरना पड़ता है? गरुड़ पुराण में क्या कहा गया है? जानिए...
शरीर नश्वर है, लेकिन आत्मा अमर है..!
हिंदू परंपरा के अनुसार, दाह संस्कार के दौरान शरीर को अग्नि को समर्पित कर दिया जाता है। दाह संस्कार के बाद, शरीर की अस्थियाँ और राख बच जाती हैं। जिन्हें अस्थियाँ कहा जाता है। इन्हें गंगा या किसी पवित्र नदी में विसर्जित करना धार्मिक अनुष्ठान का एक हिस्सा है। भारतीय दर्शन के अनुसार, शरीर नश्वर है, लेकिन आत्मा अमर है। अंतिम संस्कार आत्मा को मोक्ष या पुनर्जन्म के अगले चरण के लिए मुक्त करता है। ऐसा माना जाता है कि पिंडदान और श्राद्ध के अनुष्ठानों के माध्यम से आत्मा अपनी यात्रा पूरी करती है।
मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा क्या है?
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा शरीर छोड़ देती है। इसे सूक्ष्म शरीर कहा जाता है, जो इच्छाओं और कर्मों को वहन करता है। मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा भ्रमित हो जाती है। वह अपने प्रियजनों और भौतिक संसार से जुड़ी रहती है। आत्मा कुछ समय के लिए प्रेत लोक में रहती है, जहाँ वह अपने पिछले शरीर और परिवार की ओर आकर्षित होती है।
पिंडदान और श्राद्ध का महत्व
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा को अपनी अगली यात्रा के लिए शांति और ऊर्जा मिलती है। यह पिंडदान और तर्पण के माध्यम से संभव है। मृत आत्मा के लिए किए गए श्राद्ध अनुष्ठान उसे उसके पितृलोक तक ले जाने में मदद करते हैं।
स्वर्ग और नर्क के बीच की यात्रा - कर्मों का लेखा-जोखा
अंतिम संस्कार के बाद, आत्मा पृथ्वी और यमलोक के बीच 13 दिनों तक यात्रा करती है, जिसे सूक्ष्म यात्रा भी कहा जाता है। कर्म के आधार पर यमदूत आत्मा को यमलोक ले जाते हैं, जहाँ यमराज के समक्ष उसके कर्मों का लेखा-जोखा लिया जाता है। अच्छे कर्म करने वाली आत्मा को स्वर्ग भेजा जाता है जहाँ उसे सुख और शांति का अनुभव होता है। बुरे कर्म करने वाली आत्मा नर्क जाती है जहाँ उसे अपने पापों का दंड भोगना पड़ता है। यदि आत्मा ज्ञान, तप और भक्ति का मार्ग अपना ले, तो वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करती है।
क्या आत्मा पुनर्जन्म लेती है?
कर्म के आधार पर आत्मा को नया शरीर मिलता है। यह जन्म उसके पिछले कर्मों का फल होता है। आत्मा मोक्ष प्राप्त होने तक पुनर्जन्म लेती रहती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा और उसके कर्मों के फल का विस्तृत वर्णन है। मृत आत्मा स्वप्नों या संकेतों के माध्यम से अपने परिजनों से संवाद करने का भी प्रयास करती है।
You may also like
महानिशा पूजन कर सीएम योगी ने की लोकमंगल की प्रार्थना
आपदा प्रभावित क्षेत्रों को दोबारा स्थापित करने में हर संभव मदद कर रही केंद्र सरकार: एलजी मनोज सिन्हा
अभी अभीः लॉरेंस बिश्नोई गैंग को लेकर आई बडी खबर-जानें क्या हुआ
उत्तर प्रदेश: रायबरेली में 'मिशन शक्ति' के तहत छात्रा लक्ष्मी सिंह बनी एक दिन की थाना अध्यक्ष
Azim Premji Scholarship 2025: Empowering Girls from Economically Weaker Sections